सु.नि १६/११ कृच्छसाध्य भग्न:
- चूर्णित छिन्न अतिपातित मज्जानुगत
- कृश, वृद्ध बालागं
- क्षतक्षीणकुष्ठश्वासिना
- सन्घियों के पास के भग्न
सु.नि. १६/१२-१३ असाघ्य भग्न:
- भिन्न कयालं कटयां
- सन्धियुक्त सन्धिच्युत
- जधन सन्धि के उत्पिष्ट भग्न
- असष्लिष्ट कपाले तु
- ललाटे चूर्णितं
- स्तनान्तरे (स्तनों के मघ्य में )
- शंरवप्रदेश पृष्ठ, मूर्धा में होने वाले भग्न