आगन्तुक अतिसार (भयज व शोकज) में वातज अतिसार के समान लक्षण होते हैं।
सुश्रुतानुसार: शोकज अतिसार में काकणन्ती-प्रकाशम् मल निकलता है।
चिकित्सा: ‘मारूतोभयशोकाभ्यां शीघ्रं हि परिकुप्यति।
तयो: क्रिया: वातहरी हर्षपाश्वासनानि च।।