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बन्ध

 बन्ध के प्रकार-    

चरक – 02  (वामावर्त‚ दक्षिणावर्त)

सुश्रुत – 14

1. कोशबन्ध‚

2. दामबन्ध‚

3. स्वस्तिक बन्ध‚

4. अनुवेलित बन्ध‚

5. प्रतोली बन्ध‚

6. मण्डल बन्ध‚

7. स्थगिका बन्ध‚

8. यमक बन्ध‚

9. खट्वा बन्ध‚

10. चीन बन्ध‚

11. विन्ध बन्ध‚

12. वितान बन्ध‚

13. गोफणा बन्ध‚

14. पञ्चाङ्गी बन्ध

वागभट्ट – 15 (14 + उत्सङ्गी‚ बन्ध)

पैतिक व्रणों में बन्ध:

(सुश्रुत) 1. गाढबन्ध – समबन्ध

2. समबन्ध – शिथिल बन्ध

3. शिथिल बन्ध – व्रण खुला रखें।

 (सुश्रुत) कफ व वातदुष्ट व्रणों में बन्ध:
1. शिथिलबन्ध - समबन्ध
2. समबन्ध – गाढ़न्ध
3. गाढ़बन्ध – अत्यन्त गाढ़ बंध


व्रण बन्धन – (सु.सू. 18)

1. रक्त‚ पितदुष्टि में + शरद‚ ग्रीष्म ऋतु में – दिन में दो बार (BD)

2. वात‚ कफदुष्टि में + हेमन्त-बसन्त ऋतु में – तीसरे दिन

व्रण में पट्टी बाँधने का काल (सु. सू. 5)

1. हेमन्त‚ शिशिर‚ वसन्त – तीसरे दिन

2. ग्रीष्म‚ वर्षा‚ शरद – दूसरे दिन