
चक्र | स्थान | वृत्ति |
1. मूलाधार चक्र | जननांग तथा गुद के मध्य | सृजनात्मक, इच्छा काण आनंद |
2. स्वाधिष्ठान चक्र | जननांग मूल पर | शंका, अविश्वास, मिथ्याज्ञान |
3. मणिपूर चक्र | नाभि | लज्जा, अस्थिरता, र्इष्र्या, इच्छा, दुख, मन्दतो, अज्ञानता |
4. अनाहत चक्र | हृदय प्रदेश | मिश्रित स्वभाव |
5. विशुद्ध चक्र | गल मूल भाग | 7 प्रकार के स्तर की उत्पत्ति, विप, अमत्त |
6. आज्ञा चक्र | ललाट पर भ्रू के मध्य में | तीनों मानसिक गुण |