
| (सुश्रुत) | निरुह वस्ति का प्रत्यागमन काल | 1 मुहूर्त्त |
| (वा,शा. ,सुश्रुत) | अनुवासन वस्ति | अहोरात्र |
| (चरक) | अनुवासन वस्ति | 3 याम |
*निरुह वस्ति में दोषों के निकलने का क्रम:
(चरक) - विड् - कफ - पित - वायु - मूत्र
(सुश्रुत) - विड् - पित - कफ - वायु
(शा.) - विड् - पित - कफ - वायु
* अनुवासन वस्ति - (सु.) 'आद्रपाणिनम्'
(च.) 'नात्याशित पादहीन'
* निरुह वस्ति - (सु.) 'जीर्ण आहार'
( सुश्रुत )
| *अनुवासन वस्ति से पूर्व | पादहीन 1/4 |
| भोजन की मात्रा | |
| * निरुहवस्ति के पश्चात् | त्रिभागहीनमर्ध |
| भोजन की मात्रा | 1/3 , 1/3 |