
सुश्रुतानुसार - 8 शस्त्रकर्म
एषण व आहरण अतिरिक्त माना है।
आचार्य सुश्रुत के भेदन को आचार्य चरक ने पाटन,
विस्त्रावण ने प्रच्छान कहा है।
शस्त्रकर्म -
चरक - पाटन, व्यधन, छेदन, लेखन, प्रच्छान, सीवन
सुश्रुत - छेदन, भेदन, लेखन, वेधन, एषण, आहरण, विस्त्रावण, सीवन
अष्टांग - हृदय - सुश्रुत के 8 तथा उत्पाटन, कुÍन, मंथन, ग्रहण, दहन
अष्टांग संग्रह - 12 (दहन नहीं माना)