
| (वातज अरूंषिका) | (पित्तज अरूंषिका) | (कफज अरूंषिका) | (सन्निपातज) |
| शूल | ज्वर | शीत | सममिलित लक्षण |
| तोद | तृष्णा | पिच्छिलता | |
| आटोप | दाह | क्लेद | |
| स्फुरण | मोह | अरूचि | |
| आनाह | मद | स्तिमितता | |
| पामा | प्रलाप |
चिकित्सा:
- सिर का मुण्डन करवाकर अच्छी प्रकार स्नान कराऐं तथा द्रव तैल के द्वारा सिर की मालिश।
- अरूषिंका में वेदना : तिलो द्वारा उर्द्वन
स्वादु वर्ण तैल
मक्खन का लेप
- अरूषिकां रक्तपूर्ण हो तो - उस्तेर से काट कर गोदुग्ध + गोमूत्र पकाकार लेप
- अरुषिकां में उपयुक्त औषध - हरिद्रा, दारुहरिद्रा, त्रिकटु सैन्धव, मनशिका, जपा,जाति ,वचा
- उपयुक्त औषध से सिद्ध तैल अरूषिंका को नष्ट करता हैं।