1- घृतपान करवाना चाहिए
स्नेह से स्त्रोत मृदु हो जाते है तथा वज्र निकल जाता हैं।
2- तत् पश्चात् - रोहन, मर्दन तथा औषध पान
फिर शीतसेक, प्रलेप, विरेचन, पथ्य भोजन
अपक्व का स्त्रावण व पक्व का विद्रधीवत् पाटन ( open incision )