1. कृष्णशुक्लगत सन्धि में स्वेदन
2. बडिश द्वारा अग्रभाग के तृतीयांश भाग को पकड़कर‚ अग्रभाग के आधे भाग को शस्त्र से काटें।
3. अधिक काटने पर 'अश्रुनाड़ी' होता है।
4. कुछ शेष रहने पर सैंधव लवण व मधु से प्रतिसारण करना चाहिए।