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निरूह बस्ति, स्नेह वस्ति, वमन विरेचन व्यापद

निरूह बस्ति व्यापद     : - चरक – 12 

'नातियोगौ क्लामाध्माने हिक्का हत्प्राप्तिउर्ध्वता।

प्रवाहिका शिरोङ्गार्ति परिकर्तः परिस्त्रवः।।'

सुश्रुत – 9

वाग्भट्ट – 12

स्नेह वस्ति व्यापद – चरक – 6

"वात‚ पित्त‚ कफ‚ अति अन्न‚ पुरीष से आवृत्त‚ अभुक्ते च प्रणीत"

सुश्रुत – 9

वाग्भट्ट – 8

वमन विरेचन व्यापद – चरक – 10

'आध्मानं परिकर्त्तिका परिस्त्राव हृदयग्रह गात्रग्रह जीवादानं विभ्रंश उपद्रव स्तम्भ क्लम'

सुश्रुत – 15