सुश्रुत | चरक | |
रूक्ष | वात प्रकोप | वात प्रकोप |
उष्ण | रक्तपित्त प्रकोप | पित्त प्रकोप |
तीक्ष्ण | मर्मस्थान नष्ट‚ मति मोह | मर्मस्थान नष्ट |
सूक्ष्म | अवयवों में शीघ्र प्रवेश |
रक्त प्रकोप |
आशु | शीघ्र प्राणहरण | संपूर्ण शरीर में व्याप्त |
व्यवायी | व्यवायी | संपूर्ण शरीर में व्याप्त |
विकासी | दोष‚ धातु‚ मल नष्ट | प्राणनाशक |
विशद | अतिरिच्यते | असक्तगति |
लघु | दुश्चिकित्स्य | दुरूपक्रम |
अविपाकी | दुर्हरं‚ | क्लेशयते चिरम |