चरक – पृष्ठाभिमुख‚ उर्ध्वशेते संकुचिताङ्गं
वाग्भट्ट – ललाटेकृताजंलि‚ पृष्ठाभिमुख‚ संकुचिताङ्गं
सुश्रुत - आभुग्न अभिमुख