सुश्रुत अनुसार - नपुसंक - पार्श्वद्वयोन्नत, निर्गत उदर
यमक - मध्य निम्न, द्रोणीभूत उदर
वाग्भट्ट अनुसार - यमक - पार्श्वद्वयोन्नत, द्रोणीभूत उदर
नपुसंक - मध्य कुक्षि समुन्नत