
तैल के गुण - वात शामक , उष्ण
- कफ वर्धन
- बल वर्धन
- त्वच्य
- योनि विशोधन
- मांस को स्थिर करने वाला
घृत के गुण - पित्त - वात शामक
रस शुक्र ओज के लिए हितका
दाह शामक (निर्वापण)
स्वर वर्ण प्रसादन
वसा के गुण - विद्ध भग्न , आहत, योनिभ्रशं , कर्ण - शिरो रूजा उपचर्य के लिए
अत्यधिक व्यायाम करने वालो के लिए हितकर ।
मज्जा के गुण - बल, शुक्र , कफ , मेद एवं मज्जा का वर्धन
- अस्थि को बल देने वाला