
वसंत व शरद ऋतु मे उत्पन्न वाला प्राकृत ज्वर ( कफज व पित्तज ज्वर) सुखसाध्य होता है!
प्राकृत रोग सुखसाध्य नही होते है | ज्वर के प्रभाव के कारण तुल्य ऋतु व तुल्य दोष होने पर भी सुखसाध्य होता है
‘प्रायेणानिलजो दुःख: काले वन्येषु वैकृत:’
इसी प्रकार अपने स्वभाविक(वर्षा ऋतु ) काल मे उत्पन्न होने वाला वातज ज्वर कृच्छसाध्य होता है| वसंत मे भिन्न समय मे कफज ज्वर, शरद से भिन्न समय मे पित्तज ज्वर वैकृत होते हैं व कृच्छसाध्य होते है|
आचार्य वाग्भट्ट = वातज ज्वर -> प्राकृत व दुखसाध्य